A REVIEW OF KAAL BHAIRAV MANTRA

A Review Of kaal bhairav mantra

A Review Of kaal bhairav mantra

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अर्थ - काशी के श्रेष्ठ शासक भगवान कालभैरव को नमस्कार, जिनकी शक्तिशाली दहाड़ कमल में जन्मे ब्रह्मा के आविष्कारों के आवरण (यानी हमारे मानसिक भ्रम) को समाप्त कर देती है; जिनकी एक दृष्टि हमारे सारे पापों को दूर कर देती है; जो आठ सिद्धियों (उपलब्धियों) को प्रदान करते हैं और जो कपालमाला (खोपड़ी की माला) पहनते हैं।

यह मंत्र जातक के दोषों के कारण होने वाले बुरे परिणामों से बचाता है।

In addition, the mantra is likewise stated to possess a purifying impact on the thoughts and soul. It really is considered to aid in calming the intellect, reducing stress, and selling interior peace. Chanting this mantra often can bring a sense of peace and harmony within oneself.

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Legend: Kaal Bhairav Jayanti is among the holy festivals that possesses immense importance and value with the followers of Lord Shiva. Bhairav is considered as a manifestation of Shiva's wrath. In accordance with the Hindu scriptures, sooner or later read more the trinity of Gods: Shiva, Vishnu, and Brahma have been speaking about their supremacy and power. But finally, the discussion experienced absent at these an Severe amount that The nice rishis and sages were being known as to recommend a solution. Soon after providing deep believed and several discussions they arrived up using a recommendation, Lord Brahma expressed his worry and turned down that suggestion.

अर्थ - काशी के श्रेष्ठ शासक भगवान कालभैरव को नमन करता हूं, जिनके पास एक लाखों लाख सूर्य हैं, जो उपासकों को पुनर्जन्म के पाश से बचाते हैं, और जो विजयी हैं; जिनके पास नीली गर्दन है, जो हमारी जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करते हैं और जिनके पास तीन नेत्र हैं; जो स्वयं मृत्युपर्यंत हैं और जिनकी आंखें कमल के समान सुंदर हैं; जिन्होंने त्रिशूल और रुद्राक्ष धारण किया हुआ है और जो अमर हैं। उस देव की मैं आराधना करता हूं।

Duration: You can start with chanting the mantra for a couple of minutes and steadily enhance the duration as you grow to be a lot more snug and targeted.

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे !!



मदयिँतुसरावं प्रकटितभावं विश्वसुभावं ज्ञानपदम् । रक्तांशुकजोषं परिकृततोषं नाशितदोषं सन्मंतिदमम् ।।

“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं”

अपने नाम और गोत्र से पूजा संपन्न कराएं

नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

इस मंत्र के माध्यम से जातक को भगवान शिव और काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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